बैलेंस शीट फार्मूला

Balance Sheet Formula in Hindi

शेयर मार्केट में निवेशक बैलेंस शीट फार्मूला का उपयोग किसी कंपनी की फाइनेंसियल रेश्यो और उसकी स्थिति को समझने के लिए किया जाता है।

किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट एक निवेशक को उसका मौलिक विश्लेषण (fundamental analysis in hindi) करने में एक महत्वपूर्ण रोल अदा करती है।

अगर यहाँ पर अगर बैलेंस शीट को समझे तो ये एक एकाउटिंग समीकरण है जिसमें एक कंपनी के ऐसेट और लायबिलिटी को रिकॉर्ड किया जाता है।

बैलेंस शीट फॉर्मूला का क्या मतलब है?

बैलेंस शीट में दिए हुए डेटा से आप कंपनी की इक्विटी की जानकारी ले सकते है जिसका फार्मूला नीचे दिया गया है:

ऐसेट = लायबिलिटी+इक्विटी

इस फार्मूला में एसेट कंपनी की सम्पति और लायबिलिटी (liabilities meaning in hindi) कंपनी की देनदारियों को दर्शाता है।

अब इस फॉर्मूला से आप कंपनी की फाइनेंसियल रेश्यो जो कंपनी की वित्तीय स्थिति को समझ सकते है।

बैलेंस शीट किसी भी कंपनी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और एक कंपनी की बैलेंस शीट हमें बताती है कि उस कंपनी के शेयरहोल्डर्स कौन – कौन है, कंपनी के पास कितने ऐसेट है और कंपनी की क्या – क्या देनदारियां है।

कंपनी की बैलेंस शीट दो हिस्सो में होती है जिसके एक तरफ ऐसेट और दूसरी तरफ देनदारियां (Liabilities) और इक्विटी होती है।

बैलेंस शीट फार्मूला कैसे काम करते है?

बैलेंस शीट और इनकम स्टेटमेंट की मदद से आप फाइनेंसियल रेश्यो को एनालाइज कर सकते है, यह रेश्यो हमें यह दिखाने में मदद करते है कि कंपनी अपने पैसो को कैसे मैनेज कर रही है।

बैलेंस शीट में कई तरह की एंट्रीज होती है, जो शेयर मार्केट के गणित को समझने में मदद करती है और यह दर्शाती है कि कंपनी में पैसा कहां से आ रहा है, पैसा कहां जा रहा है और कंपनी के शेयरहोल्डर्स कौन – कौन है। एक निवेशक के रूप में आपको कंपनी के निम्न रेश्यो को देखना है।

  1. प्रोफिटेबिलिटी रेश्यो :- यह रेश्यो दर्शाता है कि कंपनी कितना पैसा कमाती है।
  2. लिक्विडिटी रेश्यो :- यह रेश्यो दर्शाता है कि कितने जल्दी कंपनी अपना लोन चुका पा रही है।
  3. सोल्वेंसी रेश्यो :- यह रेश्यो दर्शाता है कि कंपनी अपने लॉन्गटर्म लोन कैसे चुका रही है।

अनुभवी निवेशको के पास बहुत से ऐसे टूल और फॉर्मूला है जिनकी मदद से वह आसानी से किसी भी कंपनी के फाइनेंसियल को आसानी से समझ जाते है, लेकिन नए निवेशक के पास लिमिटेड रिसोर्स होने की बजह से कंपनी के फाइनेंसियल के बारे में अच्छे से समझ नहीं पाते है।

इसलिए अगर आप एक नए निवेशक भी है तब भी आप इस लेख में दिए गए फार्मूला की मदद से किसी भी कंपनी के फाइनेंसियल को समझ सकते है।

इस लेख में हम आपको बैलेंस शीट फार्मूला के तीन प्रकार के बारे में बतायेँगे:

बैलेंस शीट में प्रोफिटेबिलिटी रेश्यो की गणना कैसे करते हैं?

प्रोफिटेबिलिटी रेश्यो दर्शाता है कि कंपनी कितना पैसा कमाती है, इसके साथ ही ये रेश्यो यह भी बताता है कि कंपनी अपने व्यवसाय को मैनेज करने के लिए पैसे का कैसे इस्तेमाल करती है और कंपनी प्रॉफिट में से निवेशकों को कैसे रिवॉर्ड देती है।

प्रोफिटेबिलिटी में ये निम्न रेश्यो शामिल है:

  • ग्रॉस प्रॉफिट (Gross Profit)
  • कंट्रीब्यूशन मार्जिन (Contribution Ratio)
  • नेट प्रॉफिट (Net Profit)
  • रिटर्न ऑन इक्विटी (Return on Equity)
  • रिटर्न ऑन एसेट (Return on Assets)

1. ग्रॉस प्रॉफिट रेश्यो :- ग्रॉस प्रॉफिट रेश्यो का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि कंपनी की कुल बिक्री के बाद कितना लाभ बचा है और ग्रॉस प्रॉफिट में टैक्स भी जुड़े होते है। किसी कंपनी के ग्रॉस प्रॉफिट की गणना करने के लिए नीचे दिए गए फार्मूला का उपयोग करे।

ग्रॉस प्रॉफिट रेश्यो = (कुल सेल्स – कॉस्ट ऑफ़ गुड़ सोल्ड ) / सेल्स

2. कंट्रीब्यूशन मार्जिन रेश्यो :- कंट्रीब्यूशन मार्जिन सेल्स में से सभी वेरिएबल खर्चो को निकाल कर प्राप्त किया जाता है और फिर सेल्स से डिवाइड किया जाता है। यह रेश्यो निश्चित खर्चों के भुगतान के लिए शेष लाभ का प्रतिशत दर्शाता है, इसका फार्मूला इस प्रकार है:

कंट्रीब्यूशन मार्जिन रेश्यो = (सेल्स – वेरिएबल खर्चे) / सेल्स

3. नेट प्रॉफिट रेश्यो :- नेट प्रॉफिट रेश्यो दर्शाता है कि कंपनी के सभी खर्चे + टैक्स निकालने के बाद कितना प्रॉफिट बचा है। इसका फॉर्मूला इस प्रकार है:

नेट प्रॉफिट रेश्यो = (सेल्स – सभी खर्चे) / सेल्स

4. रिटर्न ऑन इक्विटी रेश्यो :- ROE meaning in hindi शेयर होल्डर्स इक्विटी पर इनकम को दर्शाता है, यह ही बताता है कि निवेशक को अपनी इक्विटी पर कितना रिटर्न मिल रहा है।

रिटर्न ऑन इक्विटी = नेट प्रॉफिट / टोटल इक्विटी

5. रिटर्न ऑन एसेट रेश्यो :- एक कंपनी के एसेट ही कंपनी के लिए प्रॉफिट जनरेट करते है। एक कंपनी का रिटर्न ऑन एसेट मेजर करता है कि व्यवसाय कैसे परफॉर्म कर रहा है।

रिटर्न ऑन एसेट = नेट प्रॉफिट / टोटल एसेट

बैलेंस शीट से लिक्विडिटी रेश्यो  की गणना कैसे करें?

लिक्विडिटी रेश्यो दर्शाता है कि कोई कंपनी कितनी जल्दी लिक्विडेटिंग एसेट और कैश का उपयोग कर अपने लोन का भुगतान करती है। इसमें निम्न रेश्यो शामिल है:

  • करंट रेश्यो (Current Ratio)
  • क्विक रेश्यो (Quick Ratio)
  • कैश रेश्यो  (Cash Ratio)

1. करंट रेश्यो:- करंट रेश्यो, करंट लायबिलिटी और करंट एसेट के प्रतिशत को दर्शाता है, करंट रेश्यो में सिर्फ एक ही लिमिटेशन है कि इसमें इन्वेंटरी भी शामिल होती है, जो कि आसानी से कैश में परिवर्तित नहीं की जा सकती है।

करंट रेश्यो = करंट एसेट्स  / करंट लाइविलिटीस

2. क्विक रेश्यो :- क्विक रेश्यो, करंट रेश्यो के ही समान है, लेकिन इसमें इन्वेंटरी को पहले ही निकाल दिया जाता है क्योंकि इन्वेंटरी एक लिक्विड एसेट नहीं है।

क्विक रेश्यो = (करंट एसेट्स – इन्वेंटरी) – करंट लाइविलिटीस

3. कैश रेश्यो :- कैश रेश्यो में, कैश और आसानी से कैश में परिवर्तन होने निवेश से करंट लिबिलिटीज़ की तुलना की जाती है। यह दर्शाता है कि कितनी जल्दी कंपनी लोन का भुगतान कर सकती है।

कैश रेश्यो = कैश + कन्वर्टेबल / करंट लाइविलिटीस

बैलेंस शीट से सॉल्वेंसी की गणना कैसे कर सकते हैं?

सॉल्वेंसी रेश्यो को उपयोग ये पता करने के लिए किया जाता है कि कंपनी अपने लोन का भुगतान कैसे कर रही है, करंट रेश्यो और क्विक रेश्यो को लिक्विडिटी और सॉल्वेंसी टेस्ट के लिए भी उपयोग कर सकते है।

  • करंट रेश्यो (Current Ratio)
  • क्विक रेश्यो (Quick Ratio)
  • डेब्ट टू इक्विटी रेश्यो (Debt to Equity Ratio)
  • इंटरेस्ट कवरेज (Interest Coverage)
  • एसेंशियल सॉल्वेंसी रेश्यो (Essential Solvency Ratio)

1. डेब्ट टू इक्विटी रेश्यो :- डेब्ट टू इक्विटी रेश्यो दर्शाता है कि इक्विटी की तुलना में कंपनी पर कितना कर्ज है।

डेब्ट टू इक्विटी रेश्यो = डेब्ट आउटस्टैंडिंग / इक्विटी

2. इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो :- इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो यह समझने में मदद करता है कि कंपनी अपने कर्ज पर इंटरेस्ट दे सकती है या नहीं।

इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो = EBITA / Interest expenses

3. एसेंशियल सॉल्वेंसी :- यह अंतिम रेश्यो है जो कि अनिवार्य नही है फिर भी आपको इसके बारे में जानना चाहिए, यह प्रॉफिट और नॉन-कैश आइटम्स की सभी लाइविलिटीस के साथ तुलना करता है और यह एक निवेशक को एक स्पष्ट तस्वीर देता है कि क्या कोई व्यवसाय अपने सभी कर्ज को चुका सकता है।

एसेंशियल सॉल्वेंसी = (नेट प्रॉफिट आफ्टर टैक्स + डेप्रिसिएशन + अमॉर्टिजेशन ) / सभी लाइविलिटीस


निष्कर्ष

बैलेंस शीट रेश्यो किसी कंपनी की फाइनेंसियल स्थिति के बारे बताते है, जिनमे तीन तरह के बैलेंस शीट फॉर्मूला होते है जो कि प्रोफिटेबिलिटी रेश्यो, लिक्विडिटी रेश्यो और सोल्वेंसी रेश्यो है।

एक निवेशक के रूप में आपको किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले इन रेश्यो की मदद से कंपनी के फाइनेंसियल को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

स्टॉक मार्केट में कई अन्य पहलू होते है जिसकी जानकारी एक निवेशक के पास होना बहुत ज़रूरी होती है, अगर आप एक शुरआती निवेशक है तो स्टॉक मार्केट से जुड़ी बातो को समझने के लिए अभी ऑनलाइन स्टॉक मार्केट कोर्स के लिए रजिस्टर करें।

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