शुरआती निवेशकों और ट्रेडर्स को अक्सर ऐसा लगता है की वह निर्धारित कीमत पर ही शेयर को खरीद और बेच सकते है। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है, आप चाहे तो अपने विश्लेषण के अनुसार अपने मनचाहे प्राइस पर भी शेयर का क्रय और विक्रय कर सकते है। ऐसा करने के लिए आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज़ करना होता है। लेकिन ट्रिगर प्राइस क्या है और कैसे इस्तेमाल किया जाता है, आज इस लेख में trigger price meaning in hindi को विस्तार में जानेंगे।
ट्रिगर प्राइस क्या होता है?
हर एक ट्रेडर और निवेशक का शेयर बाजार में एक ही उद्देश्य होता है कम में खरीदकर, ज़्यादा में बेचना और ऐसा करने के लिए ज़रूरी होता है सही विशलेषण करना और सही समय पर स्टॉक को खरीदने और बेचने का निर्णय लेना।
ऐसा करने के लिए जब भी आप शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हो तो आप जिस भी कीमत पर शेयर को खरीदना या बेचना चाह रहे हो उस पर ट्रेड करने के लिए अपनी मनचाही वैल्यू या ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल कर सकते है।
अब ट्रेडिंग करने के साथ-साथ ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप-लॉस के लिए भी किया जाता है।
तो आइये विस्तार में चर्चा करते है की ट्रिगर प्राइस को आप किस तरह से लाभ कमाने और अपने लॉस को कम करने के लिए कर सकते है।
Limit Order Trigger Price in Hindi
लिमिट ऑर्डर में ट्रिगर प्राइस का उपयोग करके स्टॉक को कम कीमत पर खरीदने और अधिक कीमत पर बेचने के लिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए, आप किसी कंपनी के स्टॉक को खरीदना चाहते है और उस स्टॉक का मार्केट प्राइस 50 रुपये है लेकिन आप ट्रिगर प्राइस का उपयोग करके उस स्टॉक की कीमत को 40 रुपये पर सेट कर देते है। तो जब उस स्टॉक की कीमत 40 रुपये तक पहुँच जाती है तो ‘ट्रिगर प्राइस आर्डर’ के तहत आपका ऑर्डर अपने आप ही लागू हो जाएगा।
इसी तरह अगर आप 50 वाले शेयर को 30 रुपये अधिक पर बेचना चाहते है तो आप ट्रिगर प्राइस को 80 रुपये पर सेट कर सकते है और स्टॉक की कीमत 80 रुपये पहुँचने पर आपका ऑर्डर स्वचालित रूप से लागू हो जाता है।
इस आर्डर को लगाने के अपने ट्रेडिंग एप में buy/sell बटन पर टेप करें। आप ट्रेडिंग विंडो पर लिमिट प्राइस का चयन करे और जिस भी प्राइस पर आप शेयर को खरीदना या बेचना चाह रहे है वह दर्ज़ करके मात्रा भरे और आर्डर को कन्फर्म करे। दर्ज़ की गयी डिटेल स्टॉक एक्सचेंज में भेज दी जाएगी और जैसे आपकी निर्धारित की हुए कीमत पर स्टॉक पहुंचेगा आपका आर्डर निष्पादित हो जाएगा।
स्टॉक मार्केट में इसके अलावा और भी कई प्रकार के आर्डर होते है जो आपको सही प्राइस पर एंट्री और एग्जिट करने का विकल्प प्रदान करते है। लेकिन उन आर्डर को कब और कैसे इस्तेमाल किया जाता है जानने के लिए आप stock market classes को join कर सकते है जहा सीधे अनुभवी ट्रेडर से मार्केट एनालिसिस और आर्डर लगाना सीख एक प्रो-ट्रेडर बन सकते है।
SL Trigger Price Means in Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading in hindi) में स्टॉप लॉस का इस्तेमाल ट्रेडर्स को नुक्सान से बचाता है लेकिन आप चाहे तो डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए भी स्टॉप लॉस का इस्तेमाल कर सकते है। ट्रेड चाहे जिस भी तरह का हो स्टॉप लॉस में ट्रिगर प्राइस क्या है और कैसे काम करता है उसका विवरण यहाँ दिया गया है।
स्टॉप लॉस ऑर्डर (stop loss meaning in hindi) को लागू करने के लिए आपको ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस दो तरह के वैल्यू दर्ज़ करनी पड़ती है। जब स्टॉक का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किये गए ट्रिगर प्राइस तक पहुँच जाता है तो सिस्टम की तरफ से आपका ऑर्डर सक्रिय हो जाता है और जब आपका ऑर्डर लिमिट प्राइस तक पहुंच जाता है तो आपके ऑर्डर को एक्सचेंज द्वारा लागू कर दिया जाता है।
ऑर्डर के ट्रिगर प्राइस पर पहुँचने तक आपका आर्डर आपके स्टॉक ब्रोकर के पास ही रहता है।
स्टॉप लॉस ट्रिगर प्राइस बाय और सेल पोजीशन के लिए अलग तरीके से दर्ज़ के जाती है जिसे हम एक उदाहरण से समझते है।
मान लीजिये की आपने किसी कंपनी के स्टॉक को 100 रुपये में ख़रीदा है और अब आपको लगता है की उस स्टॉक की कीमत अब नीचे जाने वाली है तो आप उस स्टॉक को 90 रुपये के स्टॉप लॉस पर सेट करते है, लेकिन जिस प्राइस पर आप अपने आर्डर को ट्रिगर करना चाहते है उसके लिए आपको स्टॉप लॉस से ज़्यादा वैल्यू पर ट्रिगर प्राइस दर्ज़ करना होता है। तो यहाँ पर मान लेते है की आपने 92 रुपये पर ट्रिगर प्राइस दर्ज़ किया है।
अब अगर स्टॉक की कीमत नीचे आकर 92 तक पहुंच जाता है तो आपका आर्डर एक्सचेंज को भेज दिया जाएगा और 90 रुपये तक पहुंचते ही आपका आर्डर निष्पादित कर दिया जाएगा।
दूसरी तरफ अगर आपने शार्ट पोजीशन ली है और 100 रुपये का कोई शेयर बेचा है और उसका स्टॉप लोस्स 105 रुपये रखा है तो यहाँ पर ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस से कम होगा यानी की 100-105 रुपये के बीच में इसकी वैल्यू निर्धारित कर सकते है।
यहाँ पर ये जानना ज़रूरी है कि अगर आपका प्राइस ट्रेडिंग सेशन के अंतर्गत ट्रिगर प्राइस को हिट नहीं करता है तो वह अपने आप रद हो जाएगा और आपको अपने आर्डर में नुक्सान से बचने के लिए अगले दिन फिर से ट्रिगर प्राइस डालना होगा।
निष्कर्ष
इस लेख से आप अलग-अलग आर्डर टाइप में ट्रिगर प्राइस (trigger price meaning in hindi) को अच्छे से जान पाए होंगे और समझ पाए होंगे की किस तरह से ये आपको आपकी मनचाही वैल्यू में स्टॉक को खरीदने में मदद करता है और सही प्राइस पर स्टॉप लॉस को ट्रिगर कर आपके नुक्सान को सीमित करता है।
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