Intraday Trading in Hindi

स्टॉक मार्केट में आपने इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में जरुर सुना होगा, लेकिन कहते है न कि अधूरा ज्ञान हमेशा नुकसानदायक होता है इसलिए इस लेख में इंट्राडे ट्रेडिंग के हर एक पहलु को बारीकी से समझेंगे। जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है (intraday trading in hindi) ? इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करती है आदि।

तो आइये शुरू करते है इसके मीनिंग से!

Intraday Trading Meaning in Hindi

जैसा कि नाम से पता चलता है, इंट्राडे ट्रेडिंग वह तरीका है जहां आप किसी भी लिस्टेड कंपनी के शेयरों की खरीद और बिक्री एक ही दिन में करते है। इसे बहुत ट्रेडर्स द्वारा ‘डे ट्रेडिंग’ भी कहा जाता है – डे ट्रेडिंग डिलीवरी ट्रेडिंग से अलग है, क्योंकि डिलीवरी ट्रेडिंग में एक से अधिक दिनों के लिए शेयर रखना होता है बल्कि इंट्राडे ट्रेडिंग में हम उसी शेयरों को एक ही दिन के अंदर खरीदकर बेंच देते है।

यहां ट्रेडर का उद्देश्य निवेश करना नहीं है, बल्कि स्टॉक या इंडेक्स में ट्रेड कर उसी दिन लाभ करने का इरादा होता है। इसलिए, स्टॉक ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए शेयर की कीमतों में बदलाव को बारीकी से ट्रैक किया जाता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ध्यान रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात अगर आप किसी कंपनी के शेयरों को खरीदते है या बेंचते है आपको मार्केट बंद होने से पहले अपने ट्रेड बंद करने होंगे, यदि कोई ऐसा करने में विफल रहता है, तो उनका ब्रोकर आपकी पोजिशन को बंद कर सकता है, या ट्रेड को डिलीवरी में बदल सकता है।


इंट्राडे ट्रेड कैसे करें?

एक इंट्राडे ट्रेडर जो अपने काम के बारे में गंभीर है और दिन के कारोबार के माध्यम से अपना जीवन यापन करता है, उसमें कुछ गुण होते हैं जो उसे क्षेत्र में एक विशेषज्ञ बनाते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपके पास एक ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए जो आपस्टॉकब्रोकर के साथ खोल सकते है जो आपको बेहतर ट्रेडिंग एप और अन्य लाभ प्रदान करता है

इसके बाद ज़रूरी है एक सही स्टॉक का चयन करना जिसके लिए आपको चार्ट और इंडिकेटर दिए जाते है, इसके साथ काफी ऐसे पहलू है जिसके मदद से आप एक सही स्टॉक चुन कर उसमे ट्रेड कर सकते है

इसके साथ स्टॉक का चयन करने के लिए कुछ नियम का पालन करें जिसकी मदद से आप एक सही निर्णय ले उसमे ट्रेड कर सकते है


इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें?

ऐसे ट्रेड करते समय सर्वोत्तम इंट्राडे स्टॉक की पहचान करना आवश्यक है, क्योंकि इसमें अपेक्षाकृत अधिक जोखिम होता है। शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक सेलेक्शन एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलु होता है जिसे हम नजरंदाज नही कर सकते है क्योंकि हमारी स्ट्राटेजी कितनी भी अच्छी क्यो न हो, स्टॉक सेलेक्शन सही नही है तो कभी भी इंट्राडे से पैसा नही कमा सकते है।

अब इस तरह के ट्रेडिंग के लिए आपके पास एक प्लान भी होना चाहिए और इसलिए आपको अलग अलग तरह की इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Intraday Trading Strategy in Hindi) का भी इस्तेमाल आना चाहिए.

तो इस लिए कुछ वुनियादी बातों का ध्यान रखे जो आपको नीचे दी गई है।

1. लिक्विडिटी स्टॉक को चुनें

लिक्विडिटी इंट्राडे स्टॉक की एक प्रमुख विशेषता है, क्योंकि इस सुविधा के बिना इंट्राडे ट्रेडिंग संभव नहीं होगा।

लिक्विडिटी का सीधा सा अर्थ है कि ऐसे स्टॉक्स जिन्हे बेचने या खरीदने में कोई दिक्कत न आए। लार्गकेप और मिड कैप कंपनियों के इक्विटी शेयर (equity meaning in hindi) आसानी से खरीदे और बेचे जा सकते हैं, कभी – कभी श्मॉलकेप में लिक्विडिटी कम होने के कारण हम शेयरों को समय पर खरीद व बेंच नही पाते है। लिक्विडिटी के कारण ही बाजार में उतार-चढ़ाव का अनुभव होता है।

2. अस्थिरता (Volatility)

सर्वोत्तम इंट्राडे शेयरों में कीमतों में उतार-चढ़ाव में मध्यम से उच्च अस्थिरता (volatility) होती है। आम तौर पर, इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय बाजार मूल्य में 3% से अधिक के उतार-चढ़ाव से बचना चाहिए, क्योंकि अगर किसी दिन शेयर बाजार में ज्यादा ही अस्थिरता (volatility) हो तो आपको इस स्थिति में नुकसान होने की संभावना बहुत अधिक होती है।

3. मजबूत सहसंबंध

ऐसे स्टॉक्स की लिस्ट बनाले जो इंडेक्स से सहसंबंध रखते हो, जैसे अगर आज निफ्टी ऊपर की ओर जा रहा है तो ज्यादातर समय ऐसा होता है कि रिलायंस भी ऊपर जाता है। इससे हमें स्टॉक का विष्लेषण करने में काफी मदद मिलती है। इस प्रकार, शेयर की कीमतों में पर्याप्त उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है जब इंडेक्स के मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है।

चूंकि बेंचमार्क इंडेक्स में स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध शीर्ष कंपनियों के शेयर होते हैं, इसलिए यह माना जा सकता है कि उतार-चढ़ाव किसी भी स्थिती में लगभग इंडेक्स के समान ही होता है। इस प्रकार, यदि इस नियम का पालन किया जाता है, तो इंट्राडे ट्रेडिंग में काफी मदद सावित होता है।

4. उच्च ट्रेड वॉल्यूम

इंट्राडे ट्रेडर्स स्टॉक में उतार-चढ़ाव की पहचान करने के लिए किसी विशेष सुरक्षा के ट्रेड वॉल्यूम इंडेक्स को ट्रैक कर सकते हैं। एक उच्च ट्रेड वॉल्यूम सूचकांक एक स्टॉक के प्रदर्शन के आधार पर अत्यधिक मांग या आपूर्ति को दर्शाता है। ऐसे मामलों में खरीद और बिक्री दोनों लेनदेन के माध्यम से आसान हो जाती है।

इन सब बातो को ध्यान में रख आप स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis in Hindi) कर सकते है जिसके लिए आप अलग-अलग शेयर मार्केट चार्ट और इंडिकेटर को समझ सकते है जिसका उल्लेख निचे लेख में दिया गया है


शेयर मार्केट चार्ट

शेयर बाजार में निवेश करने या इंट्राडे ट्रेड करने के लिए ज़रूरी होता है कि स्टॉक का सही विश्लेषण किया जाये जिसके लिए उसके प्राइस, ट्रेंड और मूवमेंट को समझना अतिआवश्यक हो जाता है

शेयर मार्केट में वैसे तो अलग-अलग तरह के चार्ट होते है लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग की बात करें तो उसके लिए ज़्यादातर ट्रेडर कैंडलस्टिक चार्ट पर निर्भर करते है। 

कैंडलस्टिक चार्ट आपको स्टॉक के ओपन, क्लोज, हाई और लॉ प्राइस की जानकारी देता है और साथ ही चार्ट पैटर्न आपको स्टॉक की गतिविधियों, स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस को सेट करने में मदद करते है

यहाँ पर अगर स्टॉक का ओपनिंग प्राइस क्लोजिंग प्राइस से ज़्यादा होता है तो ग्रीन कैंडल बनती है और स्टॉक में तेज़ी को दर्शाती है दूसरी तरह स्टॉक का क्लोजिंग प्राइस अगर ओपनिंग से ज़्यादा हो तो रेड कैंडल बनती है और ये एक बेयरिश सिग्नल देता है

इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आप 1-डे चार्ट और 1 मिनट टाइम फ्रेम का चयन कर स्टॉक का विश्लेषण कर सकते है

स्टॉक के प्राइस और मूवमेंट को समझने के लिए आप कैंडलस्टिक चार्ट में सपोर्ट और रेजिस्टेंस की जानकारी प्राप्त कर सकते है, जिसके लिए आप इंट्राडे ट्रेडिंग के फॉर्मूला का इस्तेमाल कर सकते है। 


इंट्राडे ट्रेडिंग फॉर्मूला

इंट्राडे ट्रेडिंग फॉर्मूला दो अलग-अलग फॉर्मूला:

  • पाइवोट पॉइंट, और
  • फ्रैक्शन थ्योरी फॉर्मूला

इन फॉर्मूला के लिए आपको शेयर के पिछले ट्रेडिंग सेशन के ओपन, हाई, क्लोज और ओपनिंग प्राइस की जानकारी होनी चाहिए और सही फॉर्मूला का इस्तेमाल कर आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल की जानकारी प्राप्त कर सकते है

इसके साथ कब स्टॉक में एंटर और एग्जिट करना है उसके लिए आप इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते है


इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर्स

चाहे कोई व्यक्ति अनुभवी हो या नया ट्रेडर, उसे इंट्राडे ट्रेडिंग में एक साथ होने वाली कई घटनाओं का सामना करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। इसलिए, भारत में इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ट्रेंड और इंडिकेटर्स पर नज़र रखने से बहुत मदद मिल सकती है। यहां कुछ इंडिकेटर्स दिए गए हैं जिन पर इंट्राडे ट्रेडिग के दौरान विचार किया जा सकता है: 

1. Moving Average in Hindi 

औसत शब्द स्कूल में पढ़ाया जाता है और हम सभी ने इसे सीखा है। ‘मूविंग एवरेज’ शब्द उसी का विस्तार है। मूविंग एवरेज एक ट्रेंड इंडिकेटर है जिसे चार्ट पर एक लाइन के रूप में दर्शाया जाता है जो एक विशिष्ट समय अंतराल पर स्टॉक के व्यवहार को दर्शाता है। ये चार्ट किसी विशेष स्टॉक के खुलने और बंद होने की दरों को दर्शाते हैं।

चार्ट पर न्यूनतम औसत रेखा उस अंतराल में स्टॉक की औसत समापन दर दर्शाती है। यह कीमत में उतार-चढ़ाव को गहराई से समझने और स्टॉक के प्रवाह को निर्धारित करने में मदद करता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 9 पीरियड मूविंग एवरेज का इस्तेमाल कर सकते है। यहाँ पर अगर स्टॉक का प्राइस मूविंग एवरेज से ऊपर है तो बुलिश और प्राइस मूविंग एवरेज से नीचे होने पर बेयरिश सिग्नल देता है।

2. बोलिंजर बैंड (Bollinger Bands)

ये सबसे लोकप्रिय तकनीकी विश्लेषण(Technical Analysis) टूल में से एक हैं जो स्टॉक के मानक विचलन (standard deviation) को दिखाते हैं। इसकी तीन रेखाएँ होती हैं – मूविंग एवरेज, ऊपरी सीमा और निचली सीमा।

ये रेखाएं एक बैंड या अस्थिरता रेंज(volatility range) को दर्शाती हैं जिसमें एक विशेष स्टॉक की कीमत ऊपर या नीचे चलती है। किसी विशेष समय अवधि में स्टॉक की कीमत में ये बदलाव मूल्य भिन्नताओं का पता लगाने में मदद करते हैं और इन अवलोकनों की मदद से एक इंट्राडे ट्रेडर को काफी मदद मिलती है। 

अपर और लोवर बेंड में अगर दूरी हो तो ये हाई वोलैटिलिटी का संकेत देता है जो एक इंट्राडे ट्रेडर्स के लाभ कमाने का मौका बन सकता है

3. मोमेंटम ऑसिलेटर्स (Momentum Oscillators)

स्टॉक की कीमतें मुख्य रूप से बाजार की स्थितियों पर निर्भर करती हैं और अत्यधिक अस्थिर(volatile) होती हैं। मोमेंटम ऑसिलेटर्स एक ट्रेडर को यह जानने में मदद करता है कि स्टॉक एक निश्चित समय अवधि में बढ़ेगा या गिरेगा। इसे 1 से 100 की रेंज में दर्शाया जाता है और दिखाता है कि कोई स्टॉक आगे बढ़ेगा या गिरेगा।

और एक ट्रेडर को किसी विशेष स्टॉक को खरीदने का सही समय निर्धारित करने में मदद करता है। इसमें अलग-अलग वैल्यू होती है जिसके ऊपर या निचे होने पर स्टॉक के ओवरबॉट और ओवरसोल्ड कंडीशन को दर्शाता है।

4. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (Relative Strength Index)

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स एक मोमेंटम इंडिकेटर है जो तकनीकी विश्लेषण में फायदेमंद है। यह समय की अवधि में स्टॉक के मूल्य परिवर्तन की सीमा को मापता है। यह 1 से 100 के बीच ग्राफिक रूप से दर्शाता है जब किसी विशेष स्टॉक को उच्चतम स्तर पर खरीदा या बेचा जाता है, तव आरएसआई 70 से अधिक होता है। 30 से कम होने पर अधिक खरीद और ओवरसोल्ड माना जाता है।

इस गणना के लिए प्रयुक्त सूत्र है:

आर-एस-आई = 100 – [100 / (1 + (औसत लाभ / औसत हानि))]

इन इंडीकेटर्स को बारीकी से समझने के लिए शेयर मार्केट को जाने और उससे भी पहले जाने की शेयर मार्केट कैसे सीखे जैसे की टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी के लिए technical analysis books in hindi  पढ़ सकते है

5. VWAP Indicator in Hindi

अब मार्केट में प्राइस और मोमेंटम के साथ स्टॉक कि लिक्विडिटी को जानना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है, जिसके लिए वॉल्यूम का विश्लेष्ण करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए मार्केट में कई तरह के टूल होते है। 

आप चाहे तो वॉल्यूम कि जानकारी सीधे स्टॉक डिटेल से ले सकते है, लेकिन वॉल्यूम का विश्लेष्ण प्राइस के साथ किया जाता है क्योंकि ये आपको ट्रेंड कन्फर्म करने में लाभदायक होता है। 

इसके लिए VWAP इंडिकेटर का इस्तेमाल होता है। इस इंडिकेटर में तीन रेखाएं होती है। बीच वाली लाइन VWAP यानी की Volume-Weighted Average Price की जानकारी देती है। 

स्टॉक की वैल्यू अगर इस लाइन से ऊपर हो और ऊपर वाली रेखा के नीचे हो तो लॉन्ग पोजीशन और इसके विपरीत शार्ट पोजीशन का संकेत देती है। 


Intraday Trading Tips in Hindi

इंट्राडे ट्रेडिंग में ज़्यादा मुनाफा कमाने लिए सबसे ज़रूरी है एक सही स्टॉक का चयन करना जिसके उल्लेख ऊपर किया गया है। इसके साथ ज़रूरी होता है कुछ शेयर मार्केट टिप्स को फॉलो करना जैसे की:

  1. ज्ञान और विशेषज्ञता: एक व्यक्ति को एक इंट्राडे ट्रेडर के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए, उसे बाजार का ठोस ज्ञान और अनुभव होना चाहिए। इंट्राडे ट्रेडर बाजार की बुनियादी बातों को जानते हैं, लेकिन वे लगातार गतिशील तकनीकी पर शोध करते रहते हैं क्योंकि शेयर बाजार एक अस्थिर जगह है। 
  2. पर्याप्त पूंजी का होना: इंट्राडे ट्रेडिंग वैसे आप कम से कम पैसो के साथ शुरू कर सकते है लेकिन ज़्यादा मुनाफा कमाने के लिए ज़रूरी है की आप पर्याप्त पूँजी के साथ ट्रेड करें। बिना कोई पैसा नहीं कमा सकता। इंट्राडे ट्रेडर  बनने के लिए पहले आपको कुछ पूंजी आवश्यकता होती है जिससे आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड कर सके। इंट्राडे ट्रेडर को पता होता है वह एक दिन के कितना जोखिम उठा सकता है, उसी हिसाब से वह अपने ट्रेड प्लान करता है। 
  3. जोखिमों का आंकलन करना: इंट्राडे ट्रेडिंग मे शामिल जोखिम को ध्यान में रखते हुए एक इंट्राडे ट्रेडर कारण चाहिए। यहाँ पर किसी को फॉलो करके नहीं बल्कि अपनी पूँजी और रिस्क के अनुसार ट्रेड करना चाहिए क्योंकि हर एक इंट्राडे ट्रेडर का ट्रेडिग करने का तरीका और स्ट्रेजी अलग –अलग हो सकती है।
  4. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें: इंट्राडे ट्रेडिंग करते हुए टारगेट प्राइस के साथ ज़रूरी है कि आप स्टॉप लॉस (stop loss meaning in hindi) को लगाए जिससे आप अपने होने वाले नुकसान को सीमित कर सके। इसके लिए ज़रूरी है की आप सही ट्रिगर प्राइस (trigger price meaning in hindi) की जानकारी ले और उसके अनुसार सही वैल्यू को दर्ज़ करें
  5. अनुशासन का पालन करना: उचित अनुशासन हमेशा सफलता की कुंजी है, चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो। अनुशासन गायब होने पर एक इंट्राडे ट्रेडर अक्सर ट्रेडिंग में गलती करते है और बड़ी मात्रा में पूंजी को खो देते है।

इंट्राडे ट्रेडर सभी कार्यों को बहुत ध्यानपूर्वक करता है जिससे बह कम से कम जोखिम के साथ अच्छा लाभ कर सके।


इंट्रा डे ट्रेडिंग नियम

अब जैसे गाड़ी चलाते समय कुछ ट्रैफिक नियमो का पालन करना होता है ठीक उसी तरह ट्रेडिंग के समय पर कुछ rules follow करने होते है जिस आप किसी भी तरह के नुकसान को कम कर सके

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कुछ नियम कुछ इस प्रकार है:

  1. ट्रेडिंग करते समय अपने साइकोलॉजी को मजबूत बनाये और भावनाओं पर नियंत्रण रखे
  2. अपने मुनाफे से पहले नुकसान को सीमित करने पर ध्यान दे और इसलिए हमेशा स्टॉप लॉस का उपयोग करें
  3. उतने ही पैसो से ट्रेडिंग करें जितना जोखिम आप ले सकते है
  4. नुकसान होने पर Revenge या Overtrading से बचे
  5. अपने ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के Risk-Reward की गणना करें

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ

क्या इंट्राडे ट्रेडिंग सुरक्षित है, उसके लिए आइये जानते है ट्रेड से जुड़े कुछ फायदे:

1 . कम जोखिम

चूंकि इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक्स को उसी दिन खरीदकर बेंच दिया जाता है, इसलिए पर्याप्त नुकसान होने का जोखिम कम से कम होता है। कभी – कभी मार्केट बंद हो जाने के बाद कोई बुरी खबर आ जा जाती है और अगले दिन मार्केट बहुत नीचे खुलता है तो जिन लोगो ने स्टॉक्स खरीद कर रखे है,उन्हे भारी नुकसान का सामना करना होता है। लेकिन इंट्राडे ट्रेडर इस तरह के नुकसान से बच जाते है क्योंकि इंट्राडे ट्रेडर स्टॉक को अगले दिन के लिए होल्ड ही नही रखते है।

2. कम कमीशन शुल्क

स्टॉकब्रोकर इंट्राडे ट्रेडिंग स्टॉक में लेनदेन करते समय मामूली शुल्क लेते हैं, क्योंकि निवेशक के नाम पर सिक्योरिटी ट्रांसफर करने का डिलीवरी खर्च माफ कर दिया जाता है। स्टॉक लेनदेन कर, व्यापार शुल्क, सेवा कर, आदि ब्रोकरेज शुल्क में सभी शामिल हैं, और इस तरह की कटौती एक निवेशक की आय को कम करती है।

आम तौर पर, इंट्राडे ट्रेडिंग स्टॉक पर ब्रोकरेज शुल्क, और टैक्स लगाए जाते है जो कि निवेश शुल्क के खर्चो का दसवां हिस्सा होता है।

3. अधिक लाभ

इंट्राडे ट्रेडिंग निवेशकों के लिए बड़े पैमाने पर धन सृजन करने के लिए जानी जाती है, बशर्ते सटीक ट्रेडिंग रणनीतियों को लागू किया जाए। बढ़ते शेयर बाजार में पूंजी की सराहना आसानी से प्राप्त की जा सकती है। आप जानते है कि दुनिया ज्यादातर निवेशको ने अपनी शुरुआत इंट्राडे से ही की थी। क्योंकि ट्रेडिंग कम समय में ज्यादा लाभ कमाने का मौका देता है। और इंट्राडे ट्रेडर मुनाफा कमाने के लिए शॉर्ट सेलिंग की विधि का  उपयोग करते हैं।

4. लिक्विडिटी

इंट्राडे ट्रेडिंग का एक अन्य लाभ यह है कि निवेश किए गए कुल पैसो को किसी भी समय जल्दी से निकाला जा सकता है। क्योंकि ये आपकी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसो की आवश्यकताओं को बरकरार रखता है।

5. बाजार में उतार-चढ़ाव के माध्यम से पूंजीगत लाभ

ऐसी स्थितियों में अपनाई गई ट्रेडिग रणनीति के आधार पर, ट्रेडर तेजी और मंदी दोनों बाजारों में इंट्राडे ट्रेडिंग के माध्यम से लाभ कमा सकते हैं। एक शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों की खरीद और बिक्री से लाभ कमा सकते है और साथ ही शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति में, शॉर्ट-सेलिंग के माध्यम से मुनाफा कमाया जा सकता है।

जब इंट्राडे ट्रेडिंग स्टॉक की बात आती है तो बाजार में उतार-चढ़ाव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव की स्थिति में ट्रेडर्स को नुकसान हो सकता है। इसलिए तकनीकी विश्लेषण की मदद से इन उतार-चढ़ाव से लाभ कमा सकते है। 


इंट्राडे के लिए वैकल्पिक ट्रेडिंग तरीके

इंट्राडे ट्रेडिग के अलाबा भी वैकल्पिक ट्रेडिंग तरीके है जिन्हे आप अपनी पर्सनलिटी के आधार पर अपना सकते है। ये आपको देखना होगा कि आपके लिए कौन –सा ट्रेडिंग मैथड सही है। 

1. स्कल्पिंग 

स्केल्पिग भी इंट्राडे ट्रेडिंग का ही हिस्सा है, स्केल्पिग में आप अपनी पोजिशन को कुछ सेकेण्ड से लेकर कुछ मिनट तक होल्ड रखते है। ये याद रखे कि स्केल्पिग ट्रेडिग करने के लिए आपको बहुत तेज मोमेंटम की जरुरत होती है क्योंकि आप उस ट्रेड में सिर्फ़ कुछ मिनट तक रहने बाले है फिर लाभ लेकर निकल जाते है।

2. स्विंग ट्रेडिंग

स्विंग ट्रेडिंग मोमेंटम ट्रेडिंग के समान है, स्विंग ट्रेडिंग में आप अपनी पोजिशन को कुछ दिन से लेकर कुछ सप्ताह तक होल्ड रखते है। स्विंग ट्रेडिंग अल्पकालिक निवेश रणनीतियों के माध्यम से लाभ उत्पन्न करती है। ऐसे मामलों में अस्थिर शेयरों को खरीद लिया जाता है और जैसे ही कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा जाता है, खरीदे गए शेयरों को बेच दिया जाता है।

3. पोजिसनल ट्रेडिंग

पोजिसनल ट्रेडिंग में आप अपनी पोजिशन को कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महिने तक होल्ड रखते है। पोजिसनल ट्रेडिंग तब किया जाता है जब आपको लगता कि आपने बाले कुछ महिने में किसी स्टॉक की कीमत बढने बाली है। ये याद रखे पोजिसनल ट्रेडिंग हमेशा अच्छे स्टॉक्स में रिसर्च करके ही करे।

शेयर बाजार के बारे में निवेशक के ज्ञान के आधार पर इंट्राडे ट्रेडिंग की जा सकती है। ऐसे व्यक्ति जिनके पास इतनी व्यापक जानकारी नहीं है, वे इस तरह के निवेश को शुरू करने से पहले इसके बारे में ऑनलाइन शोध कर सकते हैं।


Intraday Trading Kaise Sikhe

अब इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होता है इसकी जानकारी आपको भलीभांति हो गई होगी, लेकिन अब बात आती है की अगर आप एक नए ट्रेडर है तो इसको सही से कैसे किया जाए

इसके लिए ज़रूरी है की आप इंट्राडे ट्रेडिंग को सही से सीख कर उसमे ट्रेड करें। तो एक शुरूआती ट्रेडर ट्रेडिंग कैसे सीखे?

इसके लिए सबसे पहला और आसान विकल्प है शेयर मार्केट से जुड़ी किताबें (share market books in hindi)।

इसके साथ आप Stockpathshala App डाउनलोड कर सकते है जहां पर आप स्टॉक ट्रेडिंग के बेसिक्स से से लेकर एडवांस कोर्स कर सकते है। अभी डाउनलोड करे और इंट्राडे ट्रेडिंग के अलग-अलग पहलूओं को अच्छे से समझे।

इंट्राडे ट्रेडिंग – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न. इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है?

उत्तर। इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग के बीच प्राथमिक अंतर शेयरों की समयावधि है। यदि उसी दिन शेयरो को खरीदा व बेचा जाता है तो इसे इंट्राडे कहा जाता है और यदि एक से ज्यादा दिन के लिए शेयरों को खरीदा जाता है, तो इसे डिलीवरी ट्रेडिंग कहा जाता है।

प्रश्न. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा संकेतक (Indicator) कौन सा है?

उत्तर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए हमेशा याद रखने वाली चार बुनियादी बातें हैं: 

  • ट्रेंड(Trend)
  • गति(Momentum)
  • अस्थिरता(Volatility)
  • आयतन(Volume)

आप किसी भी स्टॉक कि ये चार बुनियादी बातें जानने के लिए संकेतक (Indicator) का इस्तेमाल कर सकते है। लेकिन ये याद रखे सिर्फ संकेतक (Indicator)  के आधार पर कोई भी निर्णय न ले।

प्रश्न. स्टॉप लॉस क्या है और इंट्राडे ट्रेडिंग में यह क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर स्टॉप-लॉस एक ट्रिगर है जो किसी स्टॉक की न्यूनतम कीमत हिट होने पर सक्रिय हो जाता है। यह आवश्यक है क्योंकि यह हमें ज्यादा नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है।

प्रश्न. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे खोजें?

उत्तर हमेशा सर्वश्रेष्ठ लिक्विडिटी वाले शेयरों का चयन करें क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी स्टॉक को चुनने के लिए यह सबसे प्रमुख मानदंड है।

प्रश्न. भारत में कितने पैसे से इंट्राडे ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं?

उत्तर इंट्राडे ट्रेडिंग शुरू करने के लिए कोई निश्चित राशि नहीं है। कोई भी कम से कम रुपये से शुरू कर सकता है। अगर आपके पास 5000 रुपयें भी है तव भी इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत कर सकते है लेकिन मेरी सलाह है कि कम से कम 10000 रुपयें से शुरुआत करे।

प्रश्न. इंट्राडे के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा है?

उत्तर कई विशेषज्ञों का सुझाव है कि इंट्राडे ट्रेडिंग करने का सही समय सुबह 10.15 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक है। सुबह की अस्थिरता (Volatility) आमतौर पर 10.00 से 10.15 बजे तक कम हो जाती है, जिससे यह इंट्राडे ट्रेड करने का सही समय बन जाता है।

 

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