Technical Analysis in Hindi

शेयर मार्केट में एक तरफ जहाँ निवेश करने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस की जाती है वही शार्ट टर्म ट्रेड के लिए टेक्निकल एनालिसिस किया जाता है, जो चार्ट, इंडिकेटर, प्राइस एक्शन पर आधारित होती है। अगर आप ट्रेडिंग की शुरुआत करने जा रहे है तो इस ब्लॉग के माध्यम से पहले technical analysis in hindi को विस्तार में समझे।

Technical Analysis of the Financial Markets in Hindi  

शेयरों का तकनीकी विश्लेषण प्राइस, वॉल्यूम और स्टॉक के अन्य कारकों का विश्लेषण करके शेयर के भविष्य प्राइस का अनुमान लगाने का एक तरीका है।

तकनीकी विश्लेषण ट्रेडर्स को प्राइस मूवमेंट को समझने में मदद करता है। यह न केवल शेयरों पर लागू होता है, बल्कि आप इसका उपयोग सभी प्रकार के ट्रेड योग्य निवेश साधनों जैसे कमोडिटी, कंरेसी, डेरिवेटिव और अन्य के लिए कर सकते हैं। 

यह पिछले दिन या पिछले सप्ताह/माह या कुछ वर्षों में ट्रेड किए गए स्टॉक की प्राइस और वॉल्यूम को ध्यान में रखकर वर्तमान प्राइस और ट्रेंड की जानकारी देता है जिससे ट्रेडर एक सही निर्णय ले मार्केट में पोजीशन ले सकते है।

तकनीकी विश्लेषण के लिए विभिन्न टूल हैं जिनमें चार्ट, तकनीकी इंडीकेटर और कई अन्य रणनीतियां शामिल हैं।

उदाहरण के लिए, 5 मिनट का चार्ट या 30 मिनट का चार्ट – जहां किसी विशेष स्टॉक की कीमत और वॉल्यूम को प्रदशित किया जाता है।

अब टेक्निकल एनालिसिस को विस्तार में समझने के लिए सबसे पहले इसके लिए दी गई एक थ्योरी को समझते है जो चार्ल्स एच. डाउ ने दी थी। 

Dow Theory in Hindi

डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (Dow Jones) के निर्माता और वॉल स्ट्रीट जर्नल के संस्थापक चार्ल्स डॉव ने 1800 के दशक के अंत में अखबार में एक नियमित कॉलम के माध्यम से शेयर बाजार ट्रेडिंग करने बालो के तकनीकी विश्लेषण पेश किया। इसके अलावा स्टॉक मूल्य पैटर्न पर उनके विचारों को डॉव थ्योरी के रूप में भी जाना जाने लगा।

इसमें दी गयी टेक्निकल एनालिसिस के सिद्धांत कुछ इस तरह है:

  • मार्केट में प्राइस सब दर्शाता है
  • शेयर मार्केट में ट्रेंड तीन प्रकार के होते है: प्राइमरी ट्रेंड जो लम्बे अवधि के प्राइस की जानकारी देता है, सेकेंडरी ट्रेंड जो प्राइमरी ट्रेंड में आये करेक्शन को दर्शाता है और माइनर ट्रेंड जो शार्ट टर्म में आये मार्केट में आये उतार चढ़ाव की जानकारी देने में मदद करता है। 
  • मार्केट के ट्रेंड को कन्फर्म करने के लिए सभी इंडेक्स के ट्रेंड का विश्लेषण करना चाहिए। अगर इंडेक्स के ट्रेंड एक दूसरे से विपरीत दिशा में हो तो मार्केट में पोजीशन नहीं लेनी चाहिए। 
  • प्राइस के बदलाव को वॉल्यूम की तुलना कर देखना चाहिए। अगर प्राइस और वॉल्यूम दोनों बढ़ रहे है तो ये बुलिश ट्रेंड की जानकारी देता है लेकिन अगर प्राइस घट रहा हो और वॉल्यूम बढ़ रहा हो तो बेयरिश ट्रेंड का संकेत मिलता है।

अब इन्ही सिधान्तो के आधार पर एक ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस कर मार्केट में ट्रेड पोजीशन लेता है

Technical Analysis me Kya Aata Hai

अब टेक्निकल एनालिसिस हमे ट्रेंड और मार्केट को प्रेडिक्ट करने में मदद करता है लेकिन विश्लेषण करने के लिए किन टूल्स का उपयोग किया जाता है और ये कैसे काम करता है उसे थोड़ा और विस्तार में समझते है

अब क्योंकि टेक्निकल एनालिसिस के लिए प्राइस की जानकारी होना ज़रूरी होता है इसलिए इसमें चार्ट का सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके साथ अन्य इस्तेमाल होने वाले टूल निम्नलिखित है:

  • चार्ट का विश्लेषण
  • ट्रेंडलाइन
  • टेक्निकल इंडिकेटर
  • कैंडलस्टिक पैटर्न
  • चार्ट पैटर्न
  • वॉल्यूम

1. शेयर मार्केट चार्ट 

किसी स्टॉक के ट्रेंड को समझने के लिए तकनीकी विश्लेषण चार्ट का उपयोग किया जाता है। ट्रेडर्स के लिए अपने विश्लेषण को जारी रखने के लिए चार्ट सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है।

चार्ट का मतलब है जैसा कि आप जानते हैं, कुछ मापदंडों को समझने के लिए ग्राफिक रूप से प्रस्तुत संख्याएं हैं। यहां, चार्ट स्टॉक और शेयर की प्राइस और वॉल्यूम को प्रदर्शित करते हैं।

ऐतिहासिक मूल्य और वॉल्यूम डेटा को एक निश्चित समय अंतराल के आधार पर चार्ट पर प्लॉट किया जाता है। समय-अंतराल के साथ-साथ अन्य मापदंडों के आधार पर कई चार्ट पैटर्न हैं जिनकी चर्चा हम आगे करेंगे।

यहां, हम आपको विभिन्न प्रकार के चार्ट के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको किसी भी तकनीकी विश्लेषण सॉफ्टवेयर पर जाते हैं। एक वेहतर ट्रेडर बनने के लिए आपको के लिए आपको तकनीकी विश्लेषण को अच्छे से सीखना चाहिए।

  • लाईन चार्ट

जैसा कि नाम से पता चलता है, लाइन चार्ट चार्टिंग पैटर्न के सबसे सामान्य रूपों में से एक है। इसमें आपको ग्राफ़ के बाईं ओर से शुरू होकर दाईं ओर जाने वाली एक सिंगल रेखा मिलेंगी। जो कि स्टॉक के मूल्य को प्रदर्शित करती है।

ये रेखाएं किसी स्टॉक/इंडेक्स/ की समाप्ति कीमतों का प्रतिनिधित्व करती हैं। हालांकि, क्लोजिंग प्राइस के बजाय अन्य प्राइस वेरिएबल्स जैसे ओपनिंग प्राइस, हाई या लो प्राइस का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन सबसे सटीक भविष्यवाणी के लिए, क्लोजिंग प्राइस को इस चार्ट में रेखांकन किया गया है।

ऐतिहासिक डेटा से जुड़े मौजूदा समय में सामान्य प्राइस मूवमेंट को समझने के लिए ये लाइन चार्ट आवश्यक हैं। हालांकि यह शेयर के प्राइस मूवमेंट की अंतर्दृष्टि पर अधिक प्रकाश नहीं डालता है, इसका उपयोग शुरुआती लोग ट्रेंड को समझने के लिए कर सकते है।

  • बार चार्ट

अब देखा जाए तो लाइन चार्ट में एक समय पर सिर्फ एक ही प्राइस के आधार पर एनालिसिस किया जा सकता है लेकिन ट्रेडिंग के लिए एक समय पर चारो प्राइस की जानकारी होना बहुत ज़रूरी होती है।

ऐसे में आप बार चार्ट का उपयोग कर सकते है जिसमे एक लम्बी रेखा मार्केट के हाई और लॉ प्राइस की जानकारी और बाई और दाई तरफ दो छोटी रेखाएं ओपनिंग और क्लोजिंग प्राइस को दर्शाता है। 

बार चार्ट में कीमतों में अंतर करने के लिए अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेडर्स के लिए बार चार्ट अत्यधिक उपयोगी होते हैं क्योंकि ये एक ही ग्राफ पर सभी प्राइस प्रदान करता हैं और ट्रेडर के लिए परिवर्तनों को ट्रैक करना और प्राइस मूवमेंट की भविष्यवाणी करना आसान बनाते हैं।

कैंडलेस्टिक चार्ट ट्रेडर्स द्वारा सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने बाला चार्ट है क्योंकि ये समझने में बहुत ही आसान और एडवांस फीचर के साथ आता है। 

अगर आपने किसी ट्रेडर को अपने सहयोगी से बात करते सुना है, तो आपने कैंडलेस्टिक का नाम जरूर सुना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि कैंडलस्टिक चार्ट इस विश्लेषण में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले और महत्वपूर्ण चार्टों में से एक हैं। 

इस चार्ट को कैंडलस्टिक चार्ट कहा जाता है क्योंकि इस चार्ट का आकार मोमबत्ती की आकृति होता है। एक मोटी मोमबत्ती की तरह शरीर और ऊपर या नीचे की ओर फैली एक एकल रेखा के साथ यह मोमबत्ती की तरह दिखाई देता है।

इन ऊपरी और निचले छोरों को अपर विक और लोअर विक के रूप में जाना जाता है। जबकि अपर विक का उच्चतम बिंदु उच्च मूल्य का दर्शाता है, लोअर विक का सबसे निचला बिंदु उस स्टॉक की सबसे कम कीमत को  दर्शाता है जिसका आप विश्लेषण कर रहे हैं।  

कैंडलेस्टिक पैटर्न दोनों भागों- बॉडी और विक द्वारा बनाए जाते हैं। कैंडलस्टिक्स चार्ट प्राइस मूवमेंट व ट्रेंड को कम अवधि के भीतर भी समझने के लिए सबसे अधिक फायदेमंद होते हैं। 

यह सबसे महत्वपूर्ण है जब हमें किसी स्टॉक का अपट्रेंड या डाउनट्रेंड पता लगाना होता है। कैंडलस्टिक चार्ट की बोडी खुलने और बंद होने की कीमतों के बीच के अंतर को दर्शाता है। जब शेयर की कीमत गिरती है तो यह लाल रंग में और कीमत बढ़ने पर हरे रंग में दिखती है।

इन्ही कैंडलस्टिक चार्ट से आप पैटर्न की पहचान कर प्राइस एक्शन स्ट्रेटेजी का उपयोग कर मार्केट में ट्रेड सेटअप बना सही ट्रेड ले सकते है।

  • रेन्को चार्ट

यह पूरी तरह से एक अलग तरह का चार्टिंग पैटर्न है। यह चार्ट न ही समय सीमा और न ही ट्रेडिंग वॉल्यूम पर को दर्शाता है। यह केवल प्राइस मूवमेंट के आधार पर काम करता है।

इसमें लाल या काले और सफेद या हरे रंग की ईंटें होती हैं। जबकि सफेद या हरे रंग ऊपर की ओर की कीमतों को दर्शाती है, दूसरा लाल / काला नीचे की ओर की कीमतों को दर्शाती है। 

इस चार्टिंग को करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक एक ईंट की तरह होती है जब कीमत पिछली ईंट की तुलना में ऊपर या नीचे की ओर बढ़ती है और पर्याप्त मूल्य से बढती है। और इन ईंटों के बनने के पीछे अन्य मानदंड भी हैं।

ईंटों को कभी-कभी एक मिनट के भीतर रखा जा सकता है और इसमें एक या अधिक दिन भी लग सकते हैं। यह बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।

जबकि यह चार्टिंग पैटर्न किसी स्टॉक में सपोर्ट और रेजिसटेंस को समझने के लिए उपयोगी होता है लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए इसे इस्तेमाल नहीं किया जाता।

  • हेइकिन आशि चार्ट

Heikin Ashi एक एडवांस चार्ट है जो कैंडल्स से ही बनता है लेकिन ये मार्केट के एवरेज प्राइस की जानकारी दे आने वाले रेवेर्सल को बताता है

यह जापान में उत्पन्न हुआ था और अब दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में इसका उपयोग ट्रेडर्स के ट्रेड और मार्केट विश्लेषण के लिए किया जाता है। यह कैंडलस्टिक चार्ट की तरह है लेकिन एक अंतर के साथ।

हेइकिन आशि औसत प्राइस की गणना और समय अवधि के अनुसार ग्राफ पर प्लॉट करता है। यह अपट्रेंड और डाउनट्रेंड को अधिक आसानी से और बेहतर स्पष्टता के साथ समझने में मदद करता है। 

हेइकिन आशि चार्ट उसी रंग में कीमतों का दर्शाता हैं जैसे कैंडलस्टिक चार्ट करते हैं। इसलिए, जब कीमत ऊपर की ओर बढ़ती है और एक अपट्रेंड (मजबूत) होता है – यह लगातार हरी हेइकिन आशि कैंडल द्वारा दर्शाया जाता है।

जब कोई अपट्रेंड ट्रेंड होता है, तो बिना किसी नीचले विक के लगातार हरी कैंडल बनती रहती हैं। इसी तरह, जब कोई डाउनट्रेंड होता है, तो बिना किसी ऊपरी विक के लगातार लाल कैंडल बनती रहती हैं।

हेइकिन आशि चार्ट स्विंग ट्रेडर्स और निवेशकों के लिए उपयोगी होते हैं। जिस दिन ट्रेडर इसे तकनीकी इंडीकेटर के रूप में अधिक उपयोग करते हैं, चार्ट के रूप में नहीं। इस चार्ट का लाभ यह है कि इसे व्यक्तिगत रूप से उपयोग किया जा सकता है। 

2. Chart Analysis in Hindi

मार्केट में विश्लेषण करने के लिए चार्ट तो बहुत तरह के होते है लेकिन एक सही एनालिसिस के लिए किन टूल्स का उपयोग किया जाता है? 

चार्ट पर तकनीकी विश्लेषण की शुरुआत होती है ट्रेंड और ट्रेंड लाइन से और इसके साथ ही मार्केट के डिमांड और सप्लाई जोन की पहचान के साथ। 

एडवांस विश्लेषण के लिए ट्रेडर्स वॉल्यूम और मोमेंटम का भी उपयोग करते है जिसकी जानकारी से वह मार्केट में लिक्विडिटी और तेज़ी को पहचान अपने जोखिमों को नियंत्रित कर सकते है। 

आइये इन सबको थोड़ा और गहराई से समझते है। 

  • ट्रेंड एंड ट्रेंड लाइन

ये चार्ट के सबसे महत्वपूर्ण कारको में से एक ट्रेंड लाइन है। यह वह रेखा है जो एक शेयर की कीमत प्रवृत्ति को इंगित करने में मदद करती है जिसके लिए कि एक ट्रेडर चार्ट पर विश्लेषण करता है।

शेयर प्राइस का ट्रेंड जानने के लिए ये रेखाएं विभिन्न प्रकार के चार्ट पर खींची जा सकती हैं। इससे या तो हमें अपट्रेंड मिलता है या डाउनट्रेंड जो कि एनालिस्ट्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण टेक्निकल इंडिकेटर की तरह है।

जब कोई स्टॉक लगातार ऊपर जाता है या यूँ कहे की हायर हाई और हायर लॉ बनाता है तो उसे अपट्रेंड कहा जाता है, जबकि जब कोई स्टॉक लगातार नीचे जाता है तो उसे डाउनट्रेंड कहा जाता है।।

उदाहरण के लिए, यदि पिछला हाई 100 था तो आज यह 110 हो गया और पिछला लो 70 था, आज यह 80 हो गया। इसी तरह, ये अपट्रेंड की विशेषता है। और अगर इसके विपरीत होता है तब ये डाउनट्रेंड विशेषता है।

एक ट्रेंड अलग-अलग टाईमफ्रेम के भी हो सकते है। एक अल्पकालिक ट्रेंड, दीर्घकालिक ट्रेंड और एक मध्यवर्ती-अवधि का ट्रेंड भी हो सकता है। एक सिंगल स्टॉक इन तीनों समय में अलग-अलग ट्रेंड का अनुभव कर सकता है।

यह शॉर्ट टर्म में अपट्रेंड और लॉन्ग टर्म ट्रेंड में डाउनट्रेंड और इसके विपरीत भी हो सकता है। इस प्रकार, ट्रेंड का विश्लेषण करते टाईमफ्रेम को शामिल करना आवश्यक है।

  • सपोर्ट और रजिस्टेंस

ट्रेंडलाइन के साथ साथ मार्केट में डिमांड और सप्लाई जोन की जानकारी भी अतिआवश्यक हो जाती है और उसके लिए सपोर्ट और रेजिस्टेंस का उपयोग किया जाता है।

सरल भाषा में सपोर्ट और रजिस्टेंस दो प्राइस स्तर हैं जो एक बार टूट गए, तो तकनीकी विश्लेषकों के अनुसार एक ट्रेंड ब्रेकआउट की उम्मीद देते है।

सपोर्ट एक प्राइस लेवल है जहां स्टॉक की मांग इतनी अधिक है कि कीमत उससे नीचे नहीं जा सकती है। इसे पिछले हाई के रूप में संदर्भित किया जा सकता है और मार्केट में इसे ही डिमांड जोन भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से खरीदारों की गतिविधि में तेज़ी देखी जाती है।

इसके विपरीत रजिस्टेंस एक प्राइस लेवल है और है जहां स्टॉक की आपूर्ति अधिक होती है और इस प्रकार कीमत उस स्तर से ऊपर नहीं बढ़ सकती है। इस लेवल को सप्लाई जोन भी कहा जाता है।

अब, यदि सपोर्ट स्तर टूट गया है या यदि कीमत सपोर्ट स्तर से नीचे गिरती है, तो यह एक मंदी की प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है और जब रजिस्टेंस स्तर टूट जाता है, तो एक ऊपर की ओर या तेजी की प्रवृत्ति का इशारा करता है।

इस तथ्य के अनुसार कीमत इन दोनो स्तरों के बीच चलती है और इन दोनों स्तरों में से किसी एक को तोड़ना एक रेवेर्सल का संकेत देता है, इन दोनों अवधारणाओं को ट्रेडर्स के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।  

  • वॉल्यूम

वॉल्यूम, इसे सरल शब्दों में कहें तो प्राइस और मात्रा पर आधारित है। तो, इस प्रकार के विश्लेषण में वॉल्यूम महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। वॉल्यूम शेयरों की संख्या है जो एक ही दिन में एक विशेष शेयर के लिए ट्रेड किया गया है (हालांकि यह कोई भी अवधि हो सकती है)।

इसलिए, उदाहरण के लिए, आज एबीसी कंपनी में 10 लाख शेयरों का कारोबार होता है, इसलिए एबीसी कंपनी के शेयरों के लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम 10 लाख है। वॉल्यूम किसी शेयर के ट्रेंड या प्राइस मूवमेंट की ताकत को समझने में मदद करता है। वॉल्यूम के आधार पर ही हमें किसी भी शेयर की लिक्डिटी का पता चलता है। 

वॉल्यूम ट्रेड किए जाने वाले शेयरों की संख्या है जो शेयर के ट्रेंड की ताकत को निर्धारित करता है क्योंकि यदि 100 शेयरों का कारोबार ऊपर की ओर होता है, और 1 लाख शेयरों का कारोबार किसी अन्य स्टॉक में ऊपर की ओर होता है, तो बाद वाला स्टॉक बहुत मजबूती से अपनी दिशा में जायेगा। 

आम तौर पर, वॉल्यूम को नीचे चार्ट में दर्शाया जाता है और बार जितना ऊंचा होता है, ट्रेड किए गए शेयरों की मात्रा उतनी ही अधिक होती है। 

  • मोमेंटम 

मोमेंटम, ये तकनीकी विश्लेषण का तीसरा कारक है जिसे आपको समझने की आवश्यकता है।

मोमेंटम स्टॉक, इंडेक्स या कोई भी ट्रेडेबल इंस्ट्रूमेंट में मूल्य परिवर्तन की गति को दर्शाता है, जिससे ट्रेडर या निवेशकों को एक ट्रेंड की ताकत को समझने में मदद मिलती है। मोमेंटम स्टॉक्स जो मोमेंटम की ताकत के साथ चलते हैं, मोमेंटम स्टॉक कहलाते हैं।

कैंडलस्टिक की बॉडी की लम्बाई मोमेंटम को समझने या कुछ टेक्निकल इंडिकेटर से इसकी जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। 

  • Share Market Indicator in Hindi

अंत में, ऑसिलेटर्स और इंडीकेटर्स पर आते हैं जिन्हें चार्ट के अलावा तकनीकी विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण टूल  माना जाता है। इंडीकेटर्स और कुछ नहीं बल्कि गणितीय गणनाएं हैं जो आंकड़ों पर आधारित हैं। जो ट्रेडर्स को ट्रेडिंग निर्णय लेने में मदद करते है। 

ये इंडीकेटर्स, बाजार में खरीद और बिक्री के संकेत देकर किसी ट्रेड में प्रवेश और निकास को समझने के लिए इस्तेमाल किये जाते है।

मार्केट में कई तरह के इंडिकेटर है उनमे से कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित है: 

    • मूविंग एवरेज (Moving Average Indicator in Hindi)
    • बोलिंजर बेंड
    • RSI इंडिकेटर
    • VWAP इंडिकेटर

Technical Analysis Kaise Sikhe

अब शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस कैसे किया जाता है उसके लिए टूल्स की जानकारी तो आपको मिल गई, लेकिन उन टूल्स का उपयोग कैसे किया जाता है उसके लिए ज़रूरी है टेक्निकल एनालिसिस को सीखना

आज के समय में कुछ भी सीखना मुश्किल नहीं है और आप आसानी से ऑनलाइन और ऑफलाइन विकल्पों से शेयर मार्केट और एनालिसिस सीख सकते है। 

अगर आप FREE में टेक्निकल एनालिसिस सीखना चाहते है तो उसके लिए आप Youtube में एक अच्छे चैनल को फॉलो कर सकते है। आज के समय में बहुत से ऑनलाइन कोर्स भी उपलब्ध है जो आपको ट्रेडिंग सीखने में मदद करते है। लेकिन है Youtube Video और Recorded Courses में आप अपने ट्रेनर से बात नहीं कर सकते और कई बार आपके प्रश्नो के उत्तर न मिलने के कारण वह कोर्स लाभदायक नहीं होता।

ऐसे में आप technical analysis class के साथ जुड़ सकते है। Stock Pathshala में ये Classes Online और Offline दोनों प्लेटफार्म पर उपलब्ध है, जिसके साथ जुड़कर आप इंट्राडे, ऑप्शन और अन्य ट्रेडिंग करना सीख सकते है

साथ ही यहाँ पर आपको सीखने वाले ट्रेनर PnL Verified है और अपने ट्रेडिंग के अनुभव से आपको स्टॉक मार्केट को विश्लेषण कर ट्रेडिंग सेटअप बनाना सिखाते है

निष्कर्ष

एक शुरूआती ट्रेडर के लिए टेक्निकल एनालिसिस को समझना और ट्रेड में पोजीशन लेना मुश्किल हो सकता है लेकिन एक सही मार्गदर्शन आपको एक सही दिशा और एक सफल ट्रेडर बनने में लाभदायक होता है

मार्केट में मुनाफा कमाने के लिए टेक्निकल एनालिसिस (technical analysis in hindi) के साथ-साथ साइकोलॉजी का भी बहुत अहम भूमिका होती है और इसलिए किसी टिप या शॉर्टकर्ट तरीके से ट्रेड करने से बचे और अपने जोखिमों का आंकलन कर खुद ट्रेड लेने में सक्षम बने। 

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