शेयर मार्केट टिप्स

शेयर मार्केट टिप्स

शेयर बाजार में निवेश या ट्रेड करने के मामले में ज्यादातर लोग टालमटोल करते हैं। यह बहुत अच्छा है कि आप उन कुछ लोगों में से हैं जो वास्तव में निवेशक या ट्रेडर बना चाहते हैं। अब जब आपने शेयर मार्केट की दुनिया में आने का फैसला कर ही लिया है, आप भी जानते है कि शेयर मार्केट जोकिम भरा है इसलिए हम आपको 5 ऐसे शेयर मार्केट टिप्स बतायेंगे। जो आपके जोकिम को कम कर आपको सही रास्ता दिखायेंगे।

शेयर बाजार में पैसा बनाने के लिए नवीन तरकीबों या हैक्स की तलाश करने के बजाय, आपको अपने माइंडसेट और मनी मैंनेजमेंट पर काम करना चाहिए। और ये शेयर मार्केट टिप्स आपको एक बेहतर ट्रेडर/निवेशक बनने में मदद करेंगे।

1. शेयर मार्केट बेसिक्स के बारे में आप कितना जानते हैं?

एक सफल निवेशक या ट्रेडर बनने के लिए ये पहला कदम है जो कि है शेयर बाजर की मूल बातें और शेयर बाजार के नियम को जानना। हम चाहे किसी भी फिल्ड में कुछ करना चाहते है या बनना चाहते है हमें पहले उस चीज को पहले सीखना और समझना पड़ता है कि वह कैसे काम करती है उसके क्या–क्या जरुरी पहलू है।

ठीक इसी प्रकार, चाहे आप ट्रेडर बनना चाह रहे हो या फिर एक सफल निवेशक। दोनो में ही आपको शेयर मार्केट की बुनियादी बातों को समझना होगा कि शेयर मार्केट क्या है, शेयर मार्केट कैसे काम करता है आदि। 

इसलिए शेयर मार्केट की दुनिया में कदम रखने से पहले शेयर मार्केट की बुनियादी बाते और जरुरी पहलू को अच्छे से समझ ले। 

इसके लिए आप शेयर मार्केट से जुड़ी किताबें (stock market books in hindi) पढ़ सकते है जिसमे आप बेसिक और एडवांस कांसेप्ट जैसे की टेक्निकल और फंडामेंटल विश्लेषण (fundamental analysis in hindi) की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

2. आपका ट्रेडिंग स्टाइल क्या है?

जब भी कोई व्यक्ति शेयर बाजार में आता है तो बह निवेशक और ट्रेडर के बीच का अंतर ठीक से समझ नही पाता है और विना समझे मार्केट में पैसा लगाता है और गंवा देता है। 

ट्रेडिंग वह है जिसमें ट्रेडर कम समय के लिए स्टॉक को खरीदता है यानि कि वह अपनी पोजिशन ज़ियादा लम्बे समय तक होल्ड नहीं करता। इसमें अगर आप एक ही दिन के अंदर किसी भी स्टॉक में ट्रेड करते है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading in hindi) कहते है।

इसके अलावा अलग-अलग तरह की ट्रेडिंग होती है जिसमे आप अपने अनुसार ट्रेड कर सकते है। 

निवेश वह है जिसमें एक निवेशक किसी स्टॉक को लम्बी अवधि के लिए खरीदकर रखता है।

ट्रेडिंग के लिए नियमित ध्यान और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। यदि आपके इतना ध्यान और इसे समझने के लिए समय है तो आप शेयर बाजारों में ट्रेड को अपना प्राथमिक पेशा बना सकते हैं, तो आप इसे आजमा सकते हैं। 

अन्यथा, एक निवेशक के रूप में शुरुआत करना बहुत बेहतर है। क्योकि कि आप इससे अनुभव प्राप्त करते हैं और बाजार को समझते हैं, इसलिए आप पहले सीमित पूंजी के साथ निवेश में अपनी किस्मत आजमाना शुरू कर सकते हैं या फिर आप ट्रेडर बनना चाहते है तो कम पूंजी के साथ शुरुआत कर सकते है।  

3. शुरुआती दौर में डेरिवेटिव्स मार्केट से दूर रहना सही?

डेरिवेटिव बाजार फ्यूचर्स और ऑप्शंस से बना होता है। यहां कॉन्ट्रेक्ट-आधारित खरीदारी और विकवाली होती हैं जिनकी एक निश्चित समाप्ति तिथि होती है। मार्जिन की वजह से, डेरिवेटिव बाजार बहुत आकर्षक लगता है क्योंकि यह आपको कम पूंजी के साथ बड़ी खरीदारी करने की अनुमति देता है।

उदाहरण के लिए, मानलो आप एसबीआई का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट केवल लगभग 2 लाख रुपये में मौजूदा कीमत 360 रुपयें के भाव खरीद सकते है। SBI के एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में 3000 शेयर होते हैं। इस हिसाव से अगर आप 3000 शेयर इक्विटी मार्केट में लेते है तो आपको लगभग 10 लाख रुपये में खरीदने पडेगे। जबकि फ्यूचर में आपको सिर्फ 2 लाख रुपयें में ट्रेड करने के लिए मिल रहे थे। अनुभवी ट्रेडर नियमित रूप से डेरिवेटिव को ट्रेड करते हैं, ये शुरुआती लोगों के लिए नहीं हैं।

स्टॉक मार्केट में नए लोग अपनी शुरुआती दौर  में डेरिवेटिव्स मार्केट (derivatives meaning in hindi) से दूर रहे, क्योकि इसमें बहुत ज्यादा जोखिम होता है। अभी आप शेयर मार्केट को सीख रहे है, समझ रहे है तो आपको इस समय जरुरत है कि कम से कम जोखिम के साथ ट्रेड या निवेश करे।

इसलिए इस समय डेरिवेटिव्स मार्केट से दूर रहें।

4. आपकी जोखिम सहनशीलता क्या है?

इक्विटी (equity meaning in hindi) में निवेस्ख करने पर जो कारक आपके लक्ष्य को प्रभावित करेगा, वह है आपकी जोखिम सहने की क्षमता। भले ही आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हों या फिर ट्रेडिंग कर रहे हो। आपकी व्यक्तिगत जोखिम सहनशीलता ही आपको बतायेगी की आपको कितना जोकि लेना चाहिए।

उच्च जोखिम सहनशीलता वाला कोई व्यक्ति अपने जोखिम के हिसाब से ट्रेड या निवेश कर सकता है। किसी भी स्टॉक को चाहे आप ट्रेड करने के लिए खरीद हो या फिर निवेश करने के लिए, पहले आप अपने जोकिम को जानले की आप कितना जोखिम  उठा सकते है उसी हिसाब से अपनी पोज़िशन साइज रखे। जिसे कि नुकसान होने पर आप मैंटली अफैक्ट न हो। 

और जो लोग कम जोखिम लेना चाहते है वह अभी ट्रेडिंग की शुरुआत न करे, बल्कि अभी आपको छोटी राशि से निवेश शुरु करना चाहिए और थोडे समय बाद अनुभव होने पर आप ट्रेडिंग की शुरुआत कर सकते है। 

5. विभिन्न प्रकार के ऑर्डर्स को समझना कितना ज़रूरी?

उन ट्रेडर्स की मदद करने के लिए जो बाजार के लाइव होने पर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक नहीं वेठे रह सकते हैं, अधिकांश स्टॉकब्रोकर ने अब कई अलग-अलग प्रकार के ट्रेड ऑर्डर दिए हैं। सामान्य, स्टॉपलॉस (एसएल), मार्जिन इंट्राडे स्क्वायर अप (एमआईएस), ब्रैकेट ऑर्डर (बीओ), लिमिट ऑर्डर और कवर ऑर्डर (सीओ) ये सबसे सामान्य प्रकार के ट्रेड ऑर्डर्स हैं। 

आपको एक ट्रेडर या निवेशक के रुप में प्रत्येक ऑर्डर के वारे में समझ होनी चाहिए, कि ऑर्डर कैसे काम करते हैं।

  • स्टॉपलॉस (एसएल) :- स्टॉपलॉस ऑर्डर का मतलव (stop loss meaning in hindi) है एक ऐसा ऑर्डर जो आप ज्यादा नुकसान से बचने के लिए लगाते है। 
  • मार्जिन इंट्राडे स्क्वायर अप (एमआईएस) :- ये ऑर्डर हम इंट्राडे ट्रेंडीग करने के लिए लगाते है।
  • लिमिट ऑर्डर :- लिमिट ऑर्डर वह ऑर्डर होता है जिस प्राइस पर आप लिमिट लगा देते है कि मुझे इस प्राइस पर ट्रेड लेना है। 
  • कवर ऑर्डर :- कवर ऑर्डर में आप एक साथ लिमिट, टार्गेट और स्टॉपलॉस लगा सकते है।

निष्कर्ष

शेयर मार्केट जोखिम से भरा है इसलिए आपको शेयर में कदम रखने से पहले शेयर मार्केट की समझ होनी चाहिए और शुरुआती दौर में हमेशा कम पूंजी के साथ शुरुआत करे, जिससे कि आपको ज्यादा बडे नुकसान का सामना न करना पडे। 

अभी हमने 5 शेयर मार्केट टिप्स को समझा है, हमें उम्मीद है कि ये टिप्स आपको एक बेहतर ट्रेडर या निवेशक बनने में मददगार साबित होंगे।

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